नाक का मांस बढ़ने (Nasal Polyp) पर अपनाएं ये टिप्स | DR. JAMERIYA

नाक में बढ़ते मांस के लिए आयुर्वेदिक उपचार Naak Mein Badhate maans ke lie Aayurvedik Upachaar

Naak Mein Badhate maans ke lie Aayurvedik Upachaar


क्या आपकी नाक ने थोड़ा अतिरिक्त मांस उगाने का फैसला किया है? चिंता न करें, यह हममें से सबसे अच्छे लोगों के साथ होता है! इस लेख में, हम नाक में मांस की वृद्धि के लिए आयुर्वेदिक उपचार की दुनिया का पता लगाने जा रहे हैं। आख़िर कौन चाहता है कि उसे "मांसल नाक वाला" कहा जाए? आइए हास्य के छींटे के साथ इस दिलचस्प विषय की तह तक जाएं।


Important Note : ध्यान रहे इस आर्टिकल में बताई गयी सभी उपचार व अन्य जानकारी आपको सचेत करने के लिए दी गई है. वही अगर आप पहले से किसी भी प्रकार की अन्य किसी गंभीर बीमारी, एलर्जी इत्यादि से पीड़ित है तो डॉक्टर से गम्भीरता से इलाज करवाए!


नाक का माँस का बढ़ना एक गंभीर समस्या है जब नाक के अंदर श्वसन मार्ग का मांस बढ़ जाता है तो इस स्थिति को नाक का मांस बढ़ना कहते हैं। यह पुरुष एवम महिला किसी को भी हो सकता है। इसका दूसरा नाम नकाड़ा भी होता है। इस कारण सांस लेने में दिक्कत और सूंघने इत्यादि में दिक्कत आने लगती है। यह स्थिति वयस्कों में ज्यादातर पाई जाती है।

यदि नाक पर 10-12 हफ़्तों से लालिमा और सूजन बना हुआ हो तो यह नाक के मांस बढ़े होने का लक्षण हो सकता है। बढ़ा हुआ नाक का मांस बहुत मुलायम होता है। जब यह छोटा होता है तो इसके बढ़े हुवे का कभी कभी पता भी नही चलता है। धीरे धीरे यह बड़ा होता है और श्वसन मार्गो को अवरुद्ध करने लगता है। नाक में हुवे लालिमा की स्थिति को क्रोनिक साइनसाइटिस कहते हैं।

नाक में बढ़ते मांस के लिए आयुर्वेदिक उपचार

नाक के मांस बढ़े होने के मुख्य लक्षण क्या है ? naak ke maans badh jaane ke mukhy lakshan kya hai


1. सोते वक्त ज्यादातर खर्राटे आना। इस स्थिति में व्यक्ति ज्यादा खर्राटे लेता है।


2. इस स्थिति में सुघने की शक्ति कम या बिल्कुल खत्म हो जाती है। अगर व्यक्ति को यह समस्या आ रही है तो यह स्थिति नाक में बढ़े मांस अथवा साइनसाइटिस के कारण हो सकती है।

3. लगातार नाक बहने की समस्या का होना भी साइनसाइटिस और नाक के मांस बढ़ने के लक्षण को दर्शाता है। अगर किसी को लगातार नाक बहने की समस्या है तो यह नाक में मांस का बढ़ा होना अथवा साइनसाइटिस हो सकता है।

4. हर वक़्त नाक भरी हुई महसूस करना ये स्थिति भी नाक में मांस का बढ़ जाना अथवा साइनसाइटिस का लक्षण दर्शाता है।

5. बहती हुई नाक द्रव बार बार गले में आ जाए तो यह भी बढ़े हुवे नाक के मांस अथवा साइनसाइटिस का लक्षण हो सकता है।

6. खाने का स्वाद ना मिल पाना। इस स्थिति में व्यक्ति की सूंघने की शक्ति कम या खत्म हो जाने के कारण उसे खाने के स्वाद खत्म हो जाता है।

7. ऊपरी दांतो में दर्द का बना रहना। यदि व्यक्ति के ऊपरी दांतो में लगातार दर्द का बना रहता है तो यह स्थिति नाक के मांस के बढ़ने की हो सकती है।

8. अगर चेहरे और माथे के ऊपर दबाव महसूस हो रहा है तो यह भी नाक में मांस बढ़े होने का लक्षण हो सकता है।


अगर नाक के अंदर मांस उग जाए तो क्या करना चाहिए? Agar Naak ke andar maans ug jae to kya karana chaahie


सबसे पहली बात, घबराओ मत! मांसल नाक दुनिया का अंत नहीं है यदि आप अपनी नाक के अंदर मांस की वृद्धि देखते हैं, तो निम्नलिखित चरणों पर विचार करें:


1. किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें: किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लें जो आपकी विशिष्ट स्थिति का मूल्यांकन कर सके और एक व्यक्तिगत उपचार योजना की सिफारिश कर सके।


2. नाक छेड़ने से बचें: चाहे यह कितना भी आकर्षक क्यों न हो, अपनी नाक को छेड़ने और छेड़ने से बचें। इससे स्थिति बिगड़ सकती है और इस प्रक्रिया में आपका कोई मित्र नहीं बनेगा।


3. नाक की स्वच्छता बनाए रखें: अपने नासिका मार्ग को साफ रखना आवश्यक है। चीज़ों को नियंत्रण में रखने के लिए सेलाइन घोल का उपयोग करें या आयुर्वेदिक नेज़ल ड्रॉप्स आज़माएँ।


4. जीवनशैली समायोजन: यह अपनी जीवनशैली का पुनर्मूल्यांकन करने का अच्छा समय है। सुनिश्चित करें कि आप पर्याप्त नींद ले रहे हैं, तनाव का प्रबंधन कर रहे हैं और समग्र स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए सक्रिय बने हुए हैं।


नाक में मांस के बढ्ने पे सर्वोत्तम आयुर्वेदिक हर्बल उपचार Naak Mein Maans Badhane Pe Sarvottam Aayurvedik Harbal Upachaar :

नाक में मांस बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक हर्बल उपचार


नाक में मांस के बढ्ने पे आयुर्वेदिक हर्बल उपचार की बात आती है, तो कुछ प्रमुख हैं:

1. हल्दी(Turmeric): सुनहरा मसाला, हल्दी, अपने सूजनरोधी गुणों के लिए जाना जाता है और नाक की भीड़ को कम करने में मदद कर सकता है। इसके सूजनरोधक गुण नाक की गांठ का उपाय करने में मदद करते हैं। नाक का मार्ग खोलने के गुणों की वजह से हल्दी प्राकृतिक रूप में अच्छी तरह से काम करती है। नाक में जो श्लेष्मा बढ़ती है, उसका हल्दी के अद्भुत गुणों की वजह से इस्तेमाल करके उपाय किया जाता है। हल्दी के इस्तेमाल का एक सही तरीका होता है कि 1 छोटा चम्मच हल्दी को गर्म दूध में मिलाकर लें। हर दिन सुबह एक बार और रात में एक बार यह दूध लें। इस उपाय से नाक की गांठ का आकार कम होता है और राहत मिलती है।

2. अदरक (Ginger): अदरक एक प्राकृतिक डिकंजेस्टेन्ट है और मांसल नाक से राहत दिला सकता है।

3. मुलेठी (मुलेठी): मुलेठी कफ को शांत करने और नाक के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए एक उत्कृष्ट आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है।

4. लहसुन (Garlic) – लहसुन प्राकृतिक रूप में मसाले का घटक है, जो अनेक रोगों के लिए उपाय के रूप में काम करता है। इसमें सूजनरोधक और कीटाणुरोधक गुण होते हैं। लहसुन के इस्तेमाल से नाक में जमी हुई श्लेष्मा घुल जाती है। लहसुन के एंटीऑक्सीडेंट गुण हर प्रकार के संक्रमण को दूर करते हैं।

5. सिंहपर्णी (dandelion) / कुकरौंधा–नाक की गांठ को रोकने के लिए सिंहपर्णी का हर रोज उपयोग कर सकते हैं। इसमें विटामिन सी की उच्च मात्रा होती है, जो बलगम को कम करने में मदद करती है। इसके अन्य पोषक तत्त्व नाक की गांठ के उपाय में असरदार हैं और नाक के वायु मार्ग को खोलते हैं।

6. टी-ट्री का तेल (tea tree oil) – अगर नाक की गांठ का आकार बढ़ता हो तो टी-ट्री का तेल इसका आकार कम करने में मदद करता है। यह तेल इतना असरदार है कि इसे इस्तेमाल करने के बाद नाक की गांठ दोबारा नहीं होती है। इस तेल में कीटाणुरोधक और सूजनरोधक गुण होते हैं, जिस कारण किसी भी प्रकार के संक्रमण से लड़ना संभव होता है। अगर आपको नाक में गांठ हो, तो यह तेल इस्तेमाल करना कारगर उपाय है। रूई से थोड़ा तेल नाक के अंदर के जगह पर लगाएं जहां पर वायु मार्ग अवरोधित होता है।

7. खारा पानी(salt water)– नमक इस्तेमाल करके नाक की गांठ का उपाय किया जा सकता है। पानी में नमक घोलकर गांठ की जगह पर लगाएं। इसे इस्तेमाल करने से सूजन कम होती है। खारे पानी से सूजन और दर्द का अद्भुत रूप में उपाय होता है।

8. सहजन और शहद(drumstick and honey)- सहजन साइनस के इलाज में अद्भुत प्राकृतिक औषधि के रूप में इस्तेमाल होता है। इसके कीटाणुरोधक गुण नाक के वायु मार्ग को खोल देते हैं। कुछ लोगों को इसकी तीव्र गंध से तकलीफ हो सकती है।

याद रखें, इन जड़ी-बूटियों का सेवन विभिन्न रूपों में किया जा सकता है, जैसे चाय, पाउडर, या यहां तक कि आपके भोजन के हिस्से के रूप में भी।


निष्कर्षतः  मांसल नाक से निपटना कोई बुरा सपना नहीं है। आयुर्वेद इस समस्या के समाधान के लिए एक प्राकृतिक और समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है। बस याद रखें, व्यक्तिगत मार्गदर्शन के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना आवश्यक है। और हे, सही उपचार के साथ, आपकी नाक बिल्कुल सही आकार की हो जाएगी, बिना किसी शर्त के!

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